ऋषिकेश 27 सितम्बर
गजेंद्र सिंह
अंतर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने मूल निवास 1950, सशक्त भू-कानून, बढ़ते नशे और अपराध के खिलाप होने जा रही मूल निवास स्वाभिमान महारैली को सफल बनाने के लिए लोगों से आह्वान किया है। महासभा के संस्थापक अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बयान जारी करते हुए बताया कि रविवार 29 सितम्बर को देवभूमि ऋषिकेश में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा आयोजित स्वाभिमान महारैली को अंतर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा द्वारा पूर्ण समर्थन दिया जा रहा है। कहा कि महासभा से जुड़े पदाधिकारी पिछले एक सप्ताह से लगातार ऋषिकेश एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर जन आंदोलन के प्रति लोगों को जागरूक कर रैली में शामिल होने का आह्वान कर रहे है। महासभा अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया कि सशक्त भू-कानून नही होने की वजह से राज्य की जमीन अन्य राज्यों के लोग बड़े पैमाने में खरीद रहे है और राज्य के संसाधनों पर बाहरी लोग हावी हो रहे है जबकि यहाँ के मूल निवासी और भूमिधर अब भूमिहीन हो रहे है। जिसका सीधा असर पर्वतीय राज्य की संस्कृति, परम्परा, अस्मिता और पहचान पर पड़ रहा है। देश के कई राज्यो में कृषि भूमि की खरीद से जुड़े सख्त नियम है पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी कृषि भूमि के गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद फरोख्त पर रोक है। आज उत्तराखंड एकमात्र हिमालयी राज्य है जहाँ राज्य के बाहर के लोग पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि भूमि गैर -कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद सकते है। राज्य गठन से अबतक भूमि से जुड़े कानूनों में कई बदलाव किए गए है ओर उधोगों का हवाला देकर भू-खरीद प्रकिया को आसान बना दिया गया है। वहीं अगर मूल निवास कानून की बात करें तो राज्य गठन के बाद के दिन से जो भी व्यक्ति उत्तराखंड की सीमा में रह रहा है उसे यहाँ का मूल निवासी माना जायेगा जबकि उत्तराखंड के साथ ही बने अन्य राज्य झारखंड एवं छत्तीसगढ़ में भी मूल निवास का मुद्दा उठ चुका है और इन राज्यो में भी 1950 को मूल निवास का आधार वर्ष माना गया है और इसी आधार पर वहाँ जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाते है। नेगी ने चारधाम यात्रा के मुख्य द्वार ऋषिकेश में जन आंदोलन को धार देने के लिए आयोजित स्वाभिमान महारैली को सफल बनाने हेतु सभी क्षेत्रवासियों से अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है।