देहरादून 3 दिसम्बर
गजेंद्र सिंह
दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित “कार्बेट पार्क में कैमरा ट्रैप से महिलाओं की निजता का हनन” खबर के मामले उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने संज्ञान लिया है।
मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने स्वतः संज्ञान लेते हुए वन विभाग के प्रधान प्रमुख वन संरक्षक को पत्र लिखकर मामले में जांच के निर्देश दिए है।
प्रकाशित खबर में एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि “कॉर्बेट टाईगर रिजर्व पार्क में बाघों की सुरक्षा हेतु लगाए गए कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी से आसपास की महिलाओं की निजता का हनन हो रहा है।” स्थानीय लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता द्वारा एक रिपोर्ट में उक्त आरोप लगाये जा रहे हैं। शोधकर्ता का दावा है कि सर्वे के दौरान उन्होंने 14 महीनों तक 270 लोगों का साक्षात्कार लिया, जिसमें स्थानीय महिलाऐं शामिल थीं। दावा किया गया कि कैमरा ट्रैप व ड्रोन की वजह से महिलाएँ आपस में ठीक से बात तक नहीं कर पाती हैं। एक स्थानीय महिला द्वारा यह भी दावा किया जा रहा है कि सन् 2017 में वन विभाग के एक कर्मचारी द्वारा कैमरा ट्रैप से उसकी वीडियो ली गयी तथा सोशियल मीडिया व व्हाट्सएप में वायरल की गयी थी।
घटना की जानकारी मिलने पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने सख्ताई दिखाई है उन्होंने मामले में वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्राचार करते हुए निर्देश दिए है।
इस पर कुसुम कण्डवाल ने कार्बेट पार्क के निदेशक डॉ साकेत बडोला से फोन पर वार्ता करते हुए कहा है कि वन क्षेत्र के निकट रहने वाली स्थानीय महिलाओं की निजता का हनन व उनके अधिकारों की रक्षा अत्यंत गम्भीर विषय है। क्योंकी वन क्षेत्रों के निकट स्थानीय लोग रहते हैं जिनका जीवन उसी जंगल के नजदीक लघु व्यवसायों से चलता है ऐसे में रिपोर्ट में दावा करने वाली पीड़ित महिला की आपत्तिजनक फोटो/विडियो सोशियल मीडिया पर प्रसारित करने वाले कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए है। वहीं उन्होंने कहा कि कार्रवाई करते हए हुए तथा उक्त प्रकरण की जांच रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराई जाए।