मुनिकीरेती 15 नवम्बर
गजेंद्र सिंह
प्रेम में समर्पण होता है। जिससे हमारा प्रेम भाव होता है उसी पर सब छोड़ देना चाहिए। प्रेम में कोई दबाव न हो। उसकी रजा में ही हमारी रज़ा हो वह प्रेम परम प्रेम होता है। योग नगरी में गंगा तट पर चल रही मानस ब्रह्म विचार को केन्द्र में रख कर हो रही राम कथा के राम राज्याभिषेक उत्सव दिवस पर मुरारी बापू ने कथा में भरत मिलाप का अद्भुत दृश्य बड़े प्रेम से श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। दशरथ जी के साकेत वास के बाद जब राज्य सभा आयोजित हुई तो उसमें निर्णय हुआ कि हम सब मिलकर वन चलते हैं और जो राम जी राज्य संचालन का निर्णय करेंगे वह ही सर्वमान्य होगा। कथा में बापू ने सभी बहन बेटियों को गृहस्थ जीवन में सुखी रहने के लिए संदेश देते हुए पांच मंत्र रुपी बातें बताई। उन्होंने कहा पहला बेटियां को अपने सास ससुर को अपने माता-पिता के समान प्रेम करते हुए खूब सेवा करनी चाहिए। दूसरा अपने पती को हमेशा सम्मान देना चाहिए। ननद को सगी बहन का प्यार देना चाहिए। चौथा बच्चों को संस्कार देने चाहिए। पांचवां सद्गुरु का हमेशा ध्यान करना चाहिए। कथा के नौवें दिन श्री राम में बापू ने राज्याभिषेक के साथ राम राज्य की स्थापना तक कथा का श्रोताओं को श्रवण कराते हुए कथा को विश्राम दिया। इस अवसर पर कथा में श्रोताओं ने भजनों का रसपान किया। मुरारी बापू ने कथा आयोजन में सहयोग के लिए शासन प्रशासन, कथा श्रोताओं के साथ कथा यजमान सात बहनों को बहुत-बहुत साधूवाद दिया।