ऋषिकेश 20 जून
गजेंद्र सिंह
समय पर इलाज होने से बड़ी सी बड़ी बीमारी भी ठीक हो जाती है। कुछ ऐसा ही मामला देहरादून के रहने वाले 44 वर्षीय विक्रम सिंह रावत का है। एम्स के अनुभवी थोरेसिक सर्जन ने न केवल विक्रम की छाती से मेजर सर्जरी कर विशालकाय ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की बल्कि रोगी को नया जीवन भी प्रदान किया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
विक्रम सिंह को छाती में दर्द की समस्या जुलाई 2023 में शुरू हुई थी। लगभग 1 साल से वह छाती में होने वाले दर्द से परेशान था। आसपास के अस्पतालों से लेकर उन्होंने राज्य के अन्य बड़े-बड़े अस्पतालों में भी अपनी बीमारी का परीक्षण कराया। थोरेसिक सर्जन उपलब्ध नहीं होने की वजह से जब कई अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए तो विक्रम की अंतिम उम्मीद ऋषिकेश एम्स पर आकर टिक गई। पिछले महीने एम्स पहुंचने पर विक्रम ने सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों को अपनी समस्या से अवगत कराया। सीटी स्कैन करने पर डॉक्टरों ने जब रिपोर्ट देखी तो पता चला कि मरीज के बाएं फेफड़े पर विशालकाय ट्यूमर बन गया है। जो उस फेफड़े को पूरी तरह दबाने के साथ-साथ कभी भी दाएं फेफड़े को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
एम्स के हृदय छाती एवं रक्त वाहिनी शल्य चिकित्सा सीटीवीएस विभाग अध्यक्ष डॉक्टर अंशुमान दरबारी ने बताया कि हाई रिस्क में होने के बाद भी ट्यूमर निकालने के लिए ओपन सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। डॉक्टर दरबारी ने बताया कि बीते 11 जून को उनकी कुशल टीम ने सर्जरी द्वारा मरीज की छाती खोलकर एक ही बार में पूरा ट्यूमर निकाल दिया। सर्जरी करने वाली टीम में डॉक्टर दरबारी के अलावा सीटीवीएस विभाग के डॉक्टर अविनाश प्रकाश और एनेस्थेसिया विभाग के डॉक्टर अजय कुमार का विशेष योगदान रहा। ग्रसित मरीज की छाती से निकाला गया ट्यूमर 22×20 सेमी और 3.2 किलोग्राम वजन का है क्रिटिकल केयर सपोर्ट और बेहतर नर्सिंग देखभाल की वजह से मरीज जल्दी रिकवर होने लगा। और अब पूर्णतः स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि रोगी का संपूर्ण इलाज राज्य सरकार की गोल्डन कार्ड योजना के तहत सरकारी दरों पर निशुल्क किया गया है। यह योजना रोगी के लिए वरदान साबित हुई संस्था की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर मीनू सिंह जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने वाली चिकित्सकों की टीम की प्रशंसा की और कहा कि एम्स ऋषिकेश थोरेसिक और वक्ष से जुड़ी सभी बीमारियों का इलाज व सर्जरी करने में सक्षम है।