

ऋषिकेश 25 मार्च
गजेंद्र सिंह
एसपीएस राजकीय चिकित्सालय परिसर में संचालित क्षय रोग केंद्र में अब मरीजों की सीवाई-टीबी टेस्ट जांच होगी। केंद्र में सीवाई टेस्ट शुरू हो गया है। सप्ताहभर के अंदर अस्पताल में अब तक करीब एक दर्जन से अधिक मरीजों की सीवाई टीबी टेस्ट हो गया है।
क्षय केंद्र में तैनात हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के प्रशिक्षु चिकित्सक डॉ. ध्रुव ने बताया कि सीवाई-टीबी टेस्ट त्वचा पर इंजेक्शन लगाकर टीबी संक्रमण का पता लगाने का एक तरीका है। इसे टीबी एजी स्किन टेस्ट भी कहा जाता है। यह टेस्ट टीबी के उन लोगों में संक्रमण की पहचान करता है जिनमें कोई लक्षण नहीं होता है। सीवाई टीबी में दो विशिष्ट प्रतिजन होते हैं। प्रारंभिक स्रावी प्रतिजन 6 (ईएसएटी-6) और कोशिका निस्पंदन प्रोटीन 10 (सीएफपी-10) जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस कॉम्प्लेक्स (एमटीसी) की ओर से स्रावित होते हैं। पहले टीबी मरीजों का मोंटा टेस्ट से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी), बैसिलस कैलमेट गुएरिन (बीसीजी) और नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया (एनटीएम) तीनों की जांच होती थी। इस टेस्ट में एनटीएम और बीसीजी के मरीज भी संक्रमित मिल जाते थे। कहा एनटीएम बैक्टीरिया का एक समूह है जो दुर्लभ फेफड़ों के संक्रमण का कारण बनता है। बीसीजी यह एक टीका है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से टीबी की रोकथाम के लिए किया जाता है। लेकिन अब सीवाई टेस्ट से केवल एमटीबी के मरीजों की सौ प्रतिशत पहचान होगी। इस टेस्ट की रिपोर्ट 48 से 72 घंटे के अंदर आसानी से उपलब्ध हो रही है। यह टेस्ट केवल क्षय केंद्र में ही हो रहा है।
