ऋषिकेश 19 जुलाई
गजेंद्र सिंह
एम्स ऋषिकेश के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के तत्वावधान में एक लाइव ऑपरेटिव कार्यशाला और सीएमई का आयोजन किया गया। यह मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) पर केंद्रित एक सूचनात्मक कार्यशाला थी, जिसमें 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला का उद्घाटन एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर मीनू सिंह ने किया। इस मौके पर कार्यकारी निदेशक ने बताया कि मिनिमली इनवेसिव सर्जरी ने आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। उन्होंने एम्स ऋषिकेश को केंद्र में रखते हुए उत्तराखंड में महिलाओं के कल्याण में अपनी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने लेप्रोस्कोपिक स्त्री रोग संबंधी सर्जरी के लाइव प्रक्षेपण के लिए एम्स ऋषिकेश के स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम द्वारा की गई अनूठी पहल की सराहना की। प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, डीन एकेडमिक्स और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, एम्स ऋषिकेश की प्रमुख प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने स्वागत भाषण दिया। सम्मेलन की आयोजन अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संस्थान और उसके अधिकारियों की टीम भावना से कार्य करने की सराहना की, बताया कि सभी के सहयोग एवं सतत प्रयासों से ही ऑपरेटिव कार्यशाला का आयोजन संभव हो पाया।
एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव मित्तल ने भी इस पहल के लिए विभाग को बधाई दी। उन्होंने सर्वोत्तम रोगी देखभाल और जहां भी संभव हो रोगियों के लिए न्यूनतम पहुंच वाली सर्जरी के उपयोग पर जोर दिया। प्रोफेसर सोमप्रकाश बसु, एचओडी जनरल सर्जरी ने न्यूनतम पहुंच सर्जरी के लिए सही रोगी के चयन के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर के अतिथि संकाय डॉ. अरविंद कुमार रहे जो एसजीआरएच, नई दिल्ली के वरिष्ठ ऑन्कोसर्जन हैं, जिनके पास न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी में दो दशक से अधिक का अनुभव है। उन्होंने आज की दुनिया में प्रासंगिक बने रहने के लिए डॉक्टरों की युवा पीढ़ी को लैप्रोस्कोपी सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर अनुपमा बहादुर ने दिया। कार्यशाला के अंत में आयोजन सचिव डॉ. राजलक्ष्मी मूंदड़ा ने इस कार्यशाला को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, एनेस्थीसिया विभाग और नर्सिंग अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के अन्य संकाय सदस्यों डॉ.रूबी गुप्ता, डॉ. लतिका चावला, डॉ.अमृता गौरव, डॉ. कविता खोईवाल, डॉ ओम कुमारी और डॉ.पूनम गिल आदि ने कार्यशाला में सक्रिय रूप से प्रतिभाग लिया।