

देहरादून 2 जनवरी
गजेंद्र सिंह
उत्तराखंड में वनाग्नि रोकथाम के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। वन विभाग आगामी वनाग्नि सत्र से पहले प्रदेश में सात नई पिरुल ब्रिकेट्स यूनिट तैयार कर देगा। इससे पिरुल एकत्रीकरण के जरिए वनाग्नि रोकथाम में मदद मिलेगी।
प्रदेश में वनाग्नि का मुख्य कारण जंगलों में चीड़ वन की अधिकता है। वन विभाग के नियंत्रणाधीन वनाच्छादित क्षेत्र में लगभग 15.25 प्रतिशत चीड़ वन है। इसलिए वन विभाग चीड़ पिरुल को एकत्रित करते हुए, इसका प्रयोग पैलेट्स, ब्रिकेट्स बनाने में कर रहा है।
इसके लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है, जिन्हें प्रति कुंतल तीन रुपए की दर से चीड़ एकत्रित करने का भुगतान किया जाता है। गत वर्ष विभाग ने स्वयं सहायता समूहों के जरिए 38299.48 कुंतल चीड़ पिरुल एकत्रित किया, जिसके बदले समूहों को 1.13 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जल्द ही अल्मोड़ा, चम्पावत, गढ़वाल और नरेंद्र नगर वन प्रभाग में सात नई यूनिट स्थापित हो जाएंगी। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी हो सकेगा। वनाग्नि रोकथाम के लिए भारत सरकार के पास पांच साल की कार्ययोजना तैयार करके भेजी गई है।
