

ऋषिकेश 22 मार्च
गजेंद्र सिंह
विश्व जल दिवस के मौके पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती और श्री मन्माधव गौडे़श्वर वैष्णव आचार्य, श्री पुंडरीक गोस्वामी की यमुनाजी के संरक्षण पर विशेष चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जल संरक्षण की महत्ता और यमुनाजी की निर्मलता तथा अविरलता के महत्व पर जोर दिया। यमुनाजी, भारतीय संस्कृति, सभ्यता और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, उन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करने हेतु इस सप्ताह की यह तीसरी विशेष मीटिंग है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब यमुना जी की बारी है। “यमुनाजी को बचाना, दरअसल हमारे जीवन और हमारी संस्कृति को बचाने जैसा है। नदियों का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है, क्योंकि नदियाँ धरती की जीवनरेखा है और हमारे अस्तित्व का आधार भी है।
भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी लीलाओं के माध्यम से यमुनाजी के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा और प्रेम को प्रदर्शित किया है। वृन्दावन की धरती पर खेलते हुए श्री कृष्ण जी ने यमुनाजी की लहरों के साथ अपनी अनमोल लीलाएँ कीं और दुनिया को यह संदेश दिया कि नदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का प्रतीक भी हैं। उन्होंने अपनी बाल लीलाओं के दौरान यमुनाजी के जल में स्नान किया, उनका प्रेम लिया और नदियों के संरक्षण का अप्रत्यक्ष रूप से संदेश दिया। नदियों का संरक्षण न केवल प्राकृतिक संसाधन की सुरक्षा है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था से भी जुडा हुआ है।
स्वामी जी ने कहा कि यदि हम यमुनाजी को साफ और प्रदूषणमुक्त रखना चाहते हैं तो हमें सभी स्तरों पर जागरूकता फैलानी होगी। यमुनाजी के किनारे बसे लाखों लोगों को नदियों के महत्व का एहसास दिलाने के लिए प्रयासों को तेज करना होगा। समाज, सरकार और सभी समुदायों को मिलकर यमुनाजी को पुनः सदानीरा और अविरल बनाने की दिशा में कार्य करना होगा।
विश्व जल दिवस के अवसर पर हम सभी जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए इसे अपनी जिम्मेदारी समझे तथा संकल्प ले कि यमुनाजी समेत सभी जल स्रोतों को साफ और संरक्षित रखने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे। इस दिशा में सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा।
