

ऋषिकेश 14 मार्च
गजेंद्र सिंह
परमार्थ निकेतन में आज एक विशेष अवसर पर विश्व शान्ति यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि के प्रेम और सद्भावना के संगीत व ताल के साथ डा. साध्वी भगवती सरस्वती का 54वाँ जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया। साध्वी भगवती सरस्वती का जीवन भारतीय संस्कृति और साधना की एक जीवंत मिसाल है, और इस शुभ अवसर पर उनका अभिनन्दन करने के लिए दुनिया भर से योग प्रेमियों और श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व जमावड़ा हुआ।
विश्व प्रसिद्ध योगगुरू स्वामी रामदेव, स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व के 75 से अधिक देशों से आये योगाचार्यों, योगजिज्ञासुओं और अनेक विश्व विख्यात विभूतियों ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती को योग के क्षेत्र में उनकी अद्भुत सेवाओं के लिये सम्मानित किया।
इस विशेष अवसर पर प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि ने अपने मधुर संगीत की ध्वनियों से साध्वी भगवती सरस्वती को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दीं।
योगगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि आज से 27 वर्ष पूर्व अपनी पीएचडी करने के पश्चात साध्वी जी ने जिस सरलता से भारतीय संस्कृति को अपनाया, हिन्दी बोलने का अभ्यास किया वह वास्तव में प्रेरणास्रोत है। साध्वी जी का जीवन एक अद्भुत यात्रा है, उन्होंने अपने जीवन के लगभग 24 वर्ष अमेरिका में बिताया, लेकिन भारतीय संस्कृति की दिव्यता को महसूस करने के बाद अमेरिका को छोड़कर भारत की दिव्य धरती पर कदम रखा। उनका यह कदम भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण की अद्भुत मिसाल है, जो न केवल भारतीय संस्कृति से जुड़ने के लिए, बल्कि जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर बढ़ने के लिए भी प्रेरित करता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी को होली की शुभकामनायें देते हुये कहा कि होली का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में रंग तभी आते हैं, जब हम एकता, प्रेम और सद्भावना के साथ एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं। जैसे रंग एक-दूसरे में घुलकर एक नया रूप लेते हैं, वैसे ही हमें भी अपने मन के भीतर विविधताओं को अपनाकर, एकता की भावना से समाज को जोड़ना व समाज से जुड़ना होगा।
