

प्रयागराज 23 जनवरी
गजेंद्र सिंह
महाकुंभ-2025 के पावन अवसर पर तीर्थराज प्रयाग में परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू जी के श्रीमुख से हो रही मानस कथा के छठे दिन आज उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदी बेन पटेल पहुची।
मलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, संतोषदास (सतुआ बाबा), साध्वी भगवती सरस्वती, आचार्य लोकेश मुनि, योगी स्वामी वचनानन्द महाराज और अनेक पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने परमार्थ निकेतन शिविर में दिव्य मानस कथा की ज्ञानधारा में स्नान किया। इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री नंदगोपाल नंदी की गरिमामय उपस्थिति रही।
उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने पूज्य बापू और पूज्य संतों का अभिनंदन करते हुए कहा कि प्रयागराज, त्रिवेणी संगम पर बापू के मुख से राम जी का चरित्र व रामायण सुनना सौभाग्य की बात है। आज बापू ने प्रभु श्रीराम और उनके भाईयों के नामकरण की सुंदर व्याख्या की। हमें भी अपने बच्चों का नामकरण ऐसी दिव्यता के साथ करना चाहिए।
श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने 9 से 14 वर्ष की बेटियों को वैक्सीनेशन लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि दो वैक्सीनेशन लगवाकर हम अपनी बेटियों को सर्वाइकल कैंसर से बचा सकते हैं। वर्तमान समय में सर्वाइकल कैंसर बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम शराब, गुटका, मसाला खाने में पैसे खर्च करते हैं, परंतु बेटियों को वैक्सीनेशन लगाने की बात आती है तो हम उनके लिए पैसे खर्च नहीं करना चाहते। हमारे अंदर सेवा का भाव होना चाहिए कि हमारे आसपास जो बच्चे हैं, वे टीबी या अन्य बीमारियों से ग्रस्त न हों। इस मुहिम में हम सभी को लगना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज आज़ादी की बिगुल बजाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती है। उन्होंने कहा कि महापुरुष कभी जाते नहीं, वे सदैव हमारे बीच में अपने कार्यों और विचारों से जीवंत और जागृत बने रहते हैं। कई बार हमें अपने शरीर से आज़ादी प्राप्त होती है, परंतु मन गुलाम बना रहता है। सत्संग और कथाएँ हमें मन की गुलामी से आज़ादी प्रदान करती हैं।
कथाएँ हमें स्वयं से भी वैराग्य प्रदान करती हैं। कथाएँ, शरीर की गुलामी और मन की गुलामी से हमें मुक्ति प्रदान करती हैं। कथाएँ, हमारे आने और जाने की यात्रा से भी मुक्ति प्रदान करती हैं।
आचार्य लोकेश मुनि जी ने सभी पूज्य संतों का अभिनंदन करते हुए कहा कि बापू की कथा शांति का स्रोत रूपी अमृत है।
पूज्य स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला भेंट कर सभी का अभिनंदन किया।
